Posts

Read Top Short Stories In Hindi

In this article, we bring you the top short stories in Hindi . These stories are related to family, society and relationships, and will touch your heart and give you a new perspective and learning about relationships. These Hindi short stories can also teach you many important things that can change your view towards life and relationships. So, if you also have a passion for reading serious stories, read Sarita's Best Hindi short Stories . Riding on the same boat: What did Mahima snatch from Karuna? One day, Manthan broke all the bonds and got trapped in Mahima's trap. She was sitting carefree and safe with her two little children under the shade of a dense tree, but when the tree fell apart, she had to face the harsh sun and rain under the open sky. Read more : Best online hindi kahani After Silence: Why did she hate her daughter so much? Sumedha was Ankita's mother. She always addressed her by this name. Rohit was her brother and I was nothing. Ankita was always a st

ड्रग्स चख भी मत लेना

Image
ड्रग्स का कारोबार बड़ेबड़े तस्कर अंधाधुंध मुनाफे के लिए कर रहे हैं और देश का युवावर्ग, महिलाओं से ले कर बस्तियों के बच्चे तक नशे में धुत हैं, उन्हें रोकने वाला कोई नहीं.  साल 1971  में देवानंद अभिनीत और निर्देशित फिल्म 'हरे रामा हरे कृष्णा' सुपर हिट इसलिए भी हुई थी कि उस में युवाओं के लिए एक सार्थक संदेश था कि ड्रग्स के नशे में फंस कर जिंदगी का सुनहरा वक्त बरबाद मत करो. फिल्म में देवानंद की नशेड़ी बहन जसबीर का रोल जीनत अमान ने इतनी शिद्दत से निभाया था कि लोग उन के अभिनय के कायल हो गए थे. फिल्म का गाना 'दम मारो दम मिट जाए गम...' आज के नशेडि़यों का भी पसंदीदा गाना है.  फिल्म में जसप्रीत एक मध्यवर्गीय युवती है जो मांबाप के अलगाव के चलते डिप्रैशन में आ कर हिप्पियों की संगत में फंस कर नेपाल चली जाती है. सालों बाद उस का भाई प्रशांत उसे ढूंढ़ता हुआ काठमांडू पहुंचता है और नशेडि़यों के चंगुल से छुड़ाने के लिए तरहतरह के उपाय करता है. लगभग 50 साल बाद भी यह फिल्म प्रासंगिक बनी हुई है, जिस के गवाह हैं ड्रग्स की गिरफ्त में तेजी से आते युवा, जिन्हें सुधारने और नसीहत देने की जरूरत महसू

चिंता में युवा     

Image
आज युवाओं का फ्यूचर बनाने को बेचैन नहीं है, वह तो पास्ट और प्रैजेंट के पीछे पड़ी है. त्रुटिपूर्ण सरकारी फैसलों का नतीजा है जो देश में न नए कारखाने लग रहे हैं, न नई नौकरियां मिल रही हैं. मकान बनने बंद हो गए हैं. मोबाइलों की बिक्री में ठहराव आ गया है. सरकार को तो पास्ट सुधारना है, इसलिए वह कश्मीर के पीछे पड़ी है और सुरक्षा पर खरबों रुपए खर्च कर रही है. वहां की एक करोड़ जनता आज गुलामी की जेल में बंद है. सरकार का निशाना तो पी चिदंबरम, शरद पंवार, राहुल गांधी हैं, सदियों पुराने देवीदेवता हैं, भविष्य नहीं. युवाओं को सुधरा हुआ कल चाहिए. घरघर में तकनीक का लाभ उठाने के लिए गैजेट मौजूद हों. सिक्योर फ्यूचर हो. जौब हो. मौज हो. पर सरकार तो टैक्स लगाने में लगी है. वह महंगे पैट्रोल के साथ युवाओं को बाइक से उतारने में लगी है. यहां तक कि एग्जाम की फीस बढ़ाने में भी उसे हिचक नहीं होती. देश का कल आज से अच्छा होगा, यह सपना अब हवा हो रहा है. नारों में कल की यानी भविष्य की बड़ी बातें हैं पर अखबारों की सुर्खियां तो गिरते रुपए, गिरते स्टौक मार्केट और बंद होती फैक्ट्रियों की हैं. सरकार भरोसा दिला रही है कि हम य

कालेज राजनीति में लड़कियां

Image
पिछले दिनों दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडैंट्स यूनियन यानी डूसू इलैक्शंस हुए तो बहुमत में लड़कों की भागीदारी तो हमेशा की तरह ही थी लेकिन प्रैसिडैंट पोस्ट के लिए कांग्रेस से जुड़े नैशनल स्टूडैंट्स यूनियन औफ इंडिया (एनएसयूआई), औल इंडिया डैमोक्रेटिक स्टूडैंट्स और्गेनाइजेशन और औल इंडिया स्टूडैंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने चेतना त्यागी, रोशनी और दामनी कैन को मैदान में उतारा. हालांकि ये तीनों यह इलैक्शन जीत नहीं पाईं लेकिन उन का जज्बा और राजनीति में लड़कों के कदम से कदम मिला कर चलना काबिलेतारीफ रहा. प्रैसिडैंट न सही लेकिन जौइंट सेक्रेटरी पद पर एनएसयूआई की शिवांगी खरवाल ने बाजी मार ही ली. शिवांगी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडैंट्स यूनियन की जौइंट सेक्रेटरी बन कर लड़कियों के लिए राजनीति की राह प्रशस्त कर दी है. परंतु राजनीति की राह उतनी आसान नहीं जितनी कि वह दिखती है, खासकर लड़कियों के लिए. ''मैं ने जब 20 साल की उम्र में कालेज की राजनीति में कदम रखा तब मुझे सत्ता और ताकत का पहली बार एहसास हुआ. मेरा रुझान यों तो खेल और संगीत में था लेकिन जब मुझे अपने कालेज के प्रिंसिपल और शिक्षकों की तरफ से छात्रसंघ

सैक्स टौयज की बढ़ती मांग

Image
सैक्स टौय वाइब्रेटर बौलीवुड तक आ पहुंचा है क्योंकि बौलीवुड फिल्म 'वीरे दी वैडिंग' और नैटफ्लिक्स पर 'फोर मोर शौट्स प्लीज' फिल्म सैगमेंट लस्ट स्टोरीज में नायिकाओं को परदे पर सैक्स टौयज द्वारा यौन आनंद लेते हुए दिखाया गया है. जबकि भारतीय पेटेंट कार्यालय ने कनैडियन कंपनी की सैक्स टौय की बिक्री की प्रार्थना को यह कह कर ठुकरा दिया था कि वाइब्रेटर अश्लील और कानूनी नजरिए से नैतिक पतन है. संस्कारी कानूनों से इतर वास्तविकता यह है कि भारत में सैक्स टौयज का बाजार 230 मिलियन डौलर का है. इस में 2019 में 34 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना जताई गई है. अगर इन से कानून की सख्ती हट जाती है तो यह बाजार और भी तेजी से बढ़ेगा. वर्तमान में सैक्स टौयज बिक्री का कानून न होने के कारण ग्राहक इन्हें चोरीछिपे और ब्लैक में खरीदते हैं. सैक्स टौयज कृत्रिम उपकरण हैं जिन का इस्तेमाल पार्टनर के न होने पर भी सैक्स का चरम सुख प्राप्त करने के लिए किया जाता है. इस के साथ ही अपने पार्टनर के साथ सैक्स संबंध को और मजेदार बनाने के लिए भी इन की मदद ली जाती है. लौ प्रोफैसर शमनाद बशीर अपने ब्लौग में लिखते हैं कि प

अधूरे जवाब (कहानी)

Image
कैफे की गैलरी में एक कोने में बैठे अभय का मन उदास था. उस के भीतर विचारों का चक्रवात उठ रहा था. वह खुद की बनाई कैद से आजाद होना चाहता था. इसी कैद से मुक्ति के लिए वह किसी का इंतजार कर रहा था. मगर क्या हो यदि जिस का अभय इंतजार कर रहा था वह आए ही न? उस ने वादा तो किया था वह आएगी. वह वादे तोड़ती नहीं है… 3 साल पहले आकांक्षा और अभय एक ही इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ते थे. आकांक्षा भी अभय के साथ मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही थी, और यह बात असाधारण न हो कर भी असाधारण इसलिए थी क्योंकि वह उस बैच में इकलौती लड़की थी. हालांकि, अभय और आकांक्षा की आपस में कभी हायहैलो से ज्यादा बात नहीं हुई लेकिन अभय बात बढ़ाना चाहता था, बस, कभी हिम्मत नहीं कर पाया. एक दिन किसी कार्यक्रम में औडिटोरियम में संयोगवश दोनों पासपास वाली चेयर पर बैठे. मानो कोई षड्यंत्र हो प्रकृति का, जो दोनों की उस मुलाकात को यादगार बनाने में लगी हो. दोनों ने आपस में कुछ देर बात की, थोड़ी क्लास के बारे में तो थोड़ी कालेज और कालेज के लोगों के बारे में. फिर दोनों की मुलाकात सामान्य रूप से होने लगी थी. दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई थी. म

त्यौहारों के मौसम में ट्राय करें ये बंजारा ज्वैलरी

Image
आभूषण पहनना सभी लड़कियों व महिलाओं को पसंद है खासकर कानों के झुमके. पहले के समय में लड़कियां हर त्योहार और फंक्शन में भारी जेवर पहना करती थीं, लेकिन आज की लड़कियां सिंपल ज्वैलरी पहनना ज्यादा पसंद करती हैं. फैशन तो हमेशा बदलता रहता है, कभी गोल्ड ज्वैलरी, सिल्वर ज्वैलरी तो कभी पर्ल ज्वैलरी. लेकिन, अभी जो ट्रैंडी है वह है बंजारा ज्वैलरी. आज के फैशन ट्रैंड में बंजारा लुक छाया हुआ है. बंजारा लुक आप को देश के हर कोने में देखने को मिलेगा जो आज सभी का फैशन बन गया है. टीवी सीरियल्स में भी अभिनेत्रियां बंजारा लुक में नजर आ रही हैं. अब 'कसौटी जिंदगी की' में हिना खान को ही देख लीजिए. उन के फर्स्ट लुक को कोई कैसे भूल सकता है. बंजारा लुक में हिना बेहद खूबसूरत नजर आ रही थीं और उन की बंजारा ज्वैलरी को लोगों ने खूब पसंद किया था. मार्केट में अलगअलग स्टाइल की बंजारा ज्वैलरी फैशन में हैं. आइए जानते हैं इन को आप कब और कैसे ड्रैसेज के साथ मैच कर सकती हैं. 1. कौड़ी से बनी ज्वैलरी में दिखेंगी खूबसूरत बंजारा ज्वैलरी में सब से ज्यादा ट्रैंडी है कौड़ी से बनी डिजाइन की हुई ज्वैलरी. इस से बनी हुई ज्वैलरी ज